White बहुत तकलीफ़ होती है.. जब कहने को बहुत कुछ | हिंदी विचार

"White बहुत तकलीफ़ होती है.. जब कहने को बहुत कुछ हो, लेकिन सुनने वाला कोई ना हो। और थोड़ी-सी तकलीफ़ तब भी होती है जब सुनने वाले बहुत हो लेकिन किसी से कुछ कहना ही ना हो। 🖋️गौरव झा 'नितिन' । ©गौरव झा नितिन"

 White  बहुत तकलीफ़ होती है.. 
जब कहने को बहुत कुछ हो,
लेकिन सुनने वाला कोई ना हो।
और थोड़ी-सी तकलीफ़ तब भी होती है
जब सुनने वाले बहुत हो 
लेकिन किसी से कुछ कहना ही ना हो।

                      🖋️गौरव झा 'नितिन'













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©गौरव झा नितिन

White बहुत तकलीफ़ होती है.. जब कहने को बहुत कुछ हो, लेकिन सुनने वाला कोई ना हो। और थोड़ी-सी तकलीफ़ तब भी होती है जब सुनने वाले बहुत हो लेकिन किसी से कुछ कहना ही ना हो। 🖋️गौरव झा 'नितिन' । ©गौरव झा नितिन

जिनगी में खाली तकलीफे है बाबू.😃
*श्रीमान् पंकज त्रिपाठी जी के साक्षात्कार में कही गई बात से प्रेरित पंक्ति..🤗

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