मन साफ सदा रखें, कभी किसी को न ठगें, वैर भाव पाले | हिंदी Poetry

"मन साफ सदा रखें, कभी किसी को न ठगें, वैर भाव पाले नहीं, प्रेम अपनाइए। बिखरे असंख्य रंग, दया बिन बदरंग, विश्वास सभी पे करें, अब समझाइए। दुनिया का लगा मेला, खूब भागे यहाँ रैला, भलाई जो कर रहे, उसे ना सताइए। पाप-पुण्य,मोह-माया, काम-क्रोध यहाँ आया, ईर्ष्या का घना कुहरा, खुद को बचाइए। ©Bharat Bhushan pathak"

 मन साफ सदा रखें,
कभी किसी को न ठगें,
वैर भाव पाले नहीं,
प्रेम  अपनाइए।

बिखरे असंख्य रंग,
दया बिन बदरंग,
विश्वास सभी पे करें,
अब समझाइए।

दुनिया का लगा मेला,
खूब भागे यहाँ रैला,
भलाई जो कर रहे,
उसे ना सताइए।

पाप-पुण्य,मोह-माया,
काम-क्रोध यहाँ आया,
ईर्ष्या का घना कुहरा,
खुद को बचाइए।

©Bharat Bhushan pathak

मन साफ सदा रखें, कभी किसी को न ठगें, वैर भाव पाले नहीं, प्रेम अपनाइए। बिखरे असंख्य रंग, दया बिन बदरंग, विश्वास सभी पे करें, अब समझाइए। दुनिया का लगा मेला, खूब भागे यहाँ रैला, भलाई जो कर रहे, उसे ना सताइए। पाप-पुण्य,मोह-माया, काम-क्रोध यहाँ आया, ईर्ष्या का घना कुहरा, खुद को बचाइए। ©Bharat Bhushan pathak

#सँभल
मन साफ सदा रखें,
कभी किसी को न ठगें,
वैर भाव पाले नहीं,
प्रेम अपनाइए।

बिखरे असंख्य रंग,
दया बिन बदरंग,

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