गर पहरा ना होता,दीवारों के उस पार। समंदर नाप आता | हिंदी शायरी

"गर पहरा ना होता,दीवारों के उस पार। समंदर नाप आता मै,साहिलों के उस पार। तुम कहो तो तोड़ दूँ मैं,ये रस्मों रिवाज। गर चाहो तुम सफर,चांद के उस पार। Shiv k Shriwas"

 गर पहरा ना होता,दीवारों के उस पार।

समंदर नाप आता मै,साहिलों के उस पार।

तुम कहो तो तोड़ दूँ मैं,ये रस्मों रिवाज।

गर चाहो तुम सफर,चांद के उस पार।

Shiv k Shriwas

गर पहरा ना होता,दीवारों के उस पार। समंदर नाप आता मै,साहिलों के उस पार। तुम कहो तो तोड़ दूँ मैं,ये रस्मों रिवाज। गर चाहो तुम सफर,चांद के उस पार। Shiv k Shriwas

#चांद के उस पार##

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