वो शाम... ज़ब सबके पास नई कहानियाँ नए किस्से और ह

"वो शाम... ज़ब सबके पास नई कहानियाँ नए किस्से और हज़ार लतीफ़े होते थे वो शामे अब ढल चुकी...... अब लोग तन्हाइयों मे, दिन की थकान से बेबस बस दिन ढलने का इंतज़ार करते है... ©@amantomar"

 वो शाम... 
ज़ब सबके पास नई कहानियाँ
 नए किस्से और हज़ार लतीफ़े होते थे
वो शामे अब ढल चुकी......
अब लोग तन्हाइयों मे, दिन की थकान से बेबस
बस दिन ढलने का इंतज़ार करते है...

©@amantomar

वो शाम... ज़ब सबके पास नई कहानियाँ नए किस्से और हज़ार लतीफ़े होते थे वो शामे अब ढल चुकी...... अब लोग तन्हाइयों मे, दिन की थकान से बेबस बस दिन ढलने का इंतज़ार करते है... ©@amantomar

शाम

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