इतना सा संसार दे दो! मनुहार आज तुमसे करूँ, सुप्त | हिंदी कविता Vi

"इतना सा संसार दे दो! मनुहार आज तुमसे करूँ, सुप्त तारों को झंकार दे दो। यह तप्त हृदय हो शीतल,   तुम एक ऐसी फुहार दे दो।  देख सकूँ तुझे कण-कण में, मेरी दृष्टि को विस्तार दे दो। तुम्हें ढाल सकूँ मैं शब्दों में,  मुझे इतना सा अधिकार दे दो।  भर सकूँ पल-पल साँसों में, ऐसी सुरभित  बयार दे दो। तुम मुझ में हो मैं तुझ में,  मुझे इतना सा संसार दे दो। ©Dr Usha Kiran "

इतना सा संसार दे दो! मनुहार आज तुमसे करूँ, सुप्त तारों को झंकार दे दो। यह तप्त हृदय हो शीतल,   तुम एक ऐसी फुहार दे दो।  देख सकूँ तुझे कण-कण में, मेरी दृष्टि को विस्तार दे दो। तुम्हें ढाल सकूँ मैं शब्दों में,  मुझे इतना सा अधिकार दे दो।  भर सकूँ पल-पल साँसों में, ऐसी सुरभित  बयार दे दो। तुम मुझ में हो मैं तुझ में,  मुझे इतना सा संसार दे दो। ©Dr Usha Kiran

#HappyRoseDay

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