बिखेरे बैठा हूं कमरे में सबकुछ कहीं एक ख़्वाब रख | हिंदी शायरी

"बिखेरे बैठा हूं कमरे में सबकुछ कहीं एक ख़्वाब रखा था अब वो भी कहीं गुम है...."

 बिखेरे बैठा हूं कमरे में सबकुछ 

कहीं एक ख़्वाब रखा था 

अब वो भी कहीं गुम है....

बिखेरे बैठा हूं कमरे में सबकुछ कहीं एक ख़्वाब रखा था अब वो भी कहीं गुम है....

#गुलज़ार ख़्वाब

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