हँसने को दिन और रोने को रात करा लेती हूँ, मै खुद | हिंदी शायरी

"हँसने को दिन और रोने को रात करा लेती हूँ, मै खुद के ऊपर धूप छाँव की बरसात करा लेती हूँ । ©Namrta Dwivedi"

 हँसने को दिन और रोने को रात करा लेती हूँ, 
मै खुद के ऊपर धूप छाँव की बरसात करा लेती हूँ ।

©Namrta Dwivedi

हँसने को दिन और रोने को रात करा लेती हूँ, मै खुद के ऊपर धूप छाँव की बरसात करा लेती हूँ । ©Namrta Dwivedi

बहुत दिनों बाद आयी हूँ लिखने
उम्मीद है आप पहले की तरह ही
मेरी रचनाओं को प्रेम देगे...!!
नैन❣️
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