सपने जो रोज़ उदय होते नयन में एक दिन यथार्थ में वो | हिंदी कविता

"सपने जो रोज़ उदय होते नयन में एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें जो कुछ लिखते कोरे कागजो में एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में परिणाम सफल या असफल होगें ये छोड़ तू समय के बहाव में देखना एक रोज पथ उस ओर होगें जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में ©Kavitri mantasha sultanpuri"

 सपने जो रोज़ उदय होते नयन में
एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें
जो कुछ लिखते कोरे कागजो में
एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें
बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में
परिणाम सफल या असफल होगें
ये  छोड़  तू  समय  के  बहाव  में
देखना एक रोज पथ उस ओर होगें
जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में

©Kavitri mantasha sultanpuri

सपने जो रोज़ उदय होते नयन में एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें जो कुछ लिखते कोरे कागजो में एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में परिणाम सफल या असफल होगें ये छोड़ तू समय के बहाव में देखना एक रोज पथ उस ओर होगें जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में ©Kavitri mantasha sultanpuri

#जिस_ओर_हम_होगें
#KavitriMantashaSultanpuri

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