जाने क्या क्या हम से इस दुनियां में दिलबर हुए,,
पेंचकस से कुछ तो प्लायर तुम मगर शायर हुए//1
शायरी में बिखरी यह जो तिश्नगी हम ही से क्यूं,,
चांद जैसे सुर्ख़ रोशन लफ़्ज़ शब ए सर हुए//2
ग़ौर कीजिए चांद के दामन में हों जो दाग़ भी,,
यह वफा ए इश्क़ उलफ़त ए ज़फा से घर हुए//3
हम वफ़ा हैं हम ज़फा हैं दो किनारे दरिया के,,
पार हैं हम से नतीजे देखें जब मंज़र हुए//4
देखिए आबाद भी बरबाद ग़ुलशन हर जगह
इश्क़ हम से करते हम से प्यार करने पर हुए//5
श्रीधर श्री
उज्जैन मध्यप्रदेश
©Shree Shayar
श्री
#ramadan