"हो शीत धूप या वर्षा
कृषक नहीं कभी हारा
लड़ गया कठिन विपदाओं से
अंदर डर की बाधाओं से
मौसम की मार ने भी मारा
ले गई फसल ओलावृष्टि
घनघोर जो वर्षा हुई कभी
वो डूबा गई पूरी खेती
कभी पशु हैं चरते खेतों में
कभी सुखा भी पड जाता है
जो लगता रोग खेतों में तो
फसल नष्ट हो जाता है
©Shailesh Yadav
"