सजी धजी कर सोलह श्रृंगार बैठी रही नज़रे घर ही चौखट | हिंदी Quotes

"सजी धजी कर सोलह श्रृंगार बैठी रही नज़रे घर ही चौखट पर कर, खुशी और असमंजस दोनों हैं एक साथ कहीं मिलेगा कोई ,तो कहीं छूटेगा पूरा घरबार।"

 सजी धजी कर सोलह श्रृंगार
बैठी रही नज़रे घर ही चौखट पर कर,
खुशी और असमंजस दोनों हैं एक साथ
कहीं मिलेगा कोई ,तो कहीं छूटेगा पूरा घरबार।

सजी धजी कर सोलह श्रृंगार बैठी रही नज़रे घर ही चौखट पर कर, खुशी और असमंजस दोनों हैं एक साथ कहीं मिलेगा कोई ,तो कहीं छूटेगा पूरा घरबार।

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