कैसे कोई चाह कर भी किसी को अपना समझें ले,
जरूरत पड़ने पर यहां अपनापन निभाता कौन है।
आखिर कैसे कोई चाह कर भी सही राह चलने लगे,
जरूरत पड़ने पर यहां कड़वापन दिखाता कौन है।।
कैसे कोई चाह कर भी जीवन में आगे बढ़ेगा,
मुश्किलों से निकाल यहां आगे बढ़ाता कौन है।
सब ही सिर्फ लगे है एक ऊंचाई देकर गिराने में,
डरी सहमी हाथो को थाम ऊपर चढ़ाता कौन है।।
©Awnish Kumar Mishra babaji
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