White तुमने तो कह दिया संभव नहीं अब साथ हमारा चल दिये विवशता गिनाकर समाज, जात, पत, परिवार जैसे विषयों का ध्यान अब आया तुम्हे
मेरे जीवन में तुम जो रह गईअधुरी आस मेरी जो शायद कभी पुरी होगी ही नहीं और कारण भी तो तुम ही हो काश थोड़ी कोशिश करते थोड़ा अहसास तुम्हे भी होता थोड़ी सी आवश्यक मैं भी होती तुम्हारे जीवन में काश!
एकतरफा मैं चाहूँ भी तो तुम्हारे हिस्से की कोशिश कैसे करूँ तुम्हारा होना मेरे वश में है तुम्हे प्राप्त करना नहीं तुमने कर लिया है निर्धारण मेरी सीमाओं का मैं केवल चाह सकती हूँ तुम्हे और ये प्रथम भी अंतिम भी है विकल्प मेरा कैसा प्रेम है ये है भी या नहीं ये प्रश्न भी काश तुम सुन पाते काश!!
©Javitri Shukla
#safar