कुर्सी के दीमक सब एक से,ममता मोदी या शाह। रामराज्य

"कुर्सी के दीमक सब एक से,ममता मोदी या शाह। रामराज्य के झूठे वादो तले, जनता रही कराह। न मतलब जनता की मौत से, न सुनते ये आह। भक्त रहो या चमचे बनो किसी को क्या परवाह। अहंकार सीमा से बढ़े,तुम बदल लो अपनी राह। कुर्सी के दीमक सब एक से,ममता मोदी या शाह। अनुपम अनूप भारत"

 कुर्सी के दीमक सब एक से,ममता मोदी या शाह।
रामराज्य के झूठे वादो तले, जनता रही कराह।
न मतलब जनता की मौत से, न सुनते ये आह।
भक्त रहो या चमचे बनो किसी को क्या परवाह।
अहंकार सीमा से बढ़े,तुम बदल लो अपनी राह।
कुर्सी के दीमक सब एक से,ममता मोदी या शाह।
अनुपम अनूप भारत

कुर्सी के दीमक सब एक से,ममता मोदी या शाह। रामराज्य के झूठे वादो तले, जनता रही कराह। न मतलब जनता की मौत से, न सुनते ये आह। भक्त रहो या चमचे बनो किसी को क्या परवाह। अहंकार सीमा से बढ़े,तुम बदल लो अपनी राह। कुर्सी के दीमक सब एक से,ममता मोदी या शाह। अनुपम अनूप भारत

#rayofhope

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