White दुनियाँ कि भिड में कोहि अपना ढुढ्ता हु, हर च | हिंदी शायरी

"White दुनियाँ कि भिड में कोहि अपना ढुढ्ता हु, हर चहेरा अपना है यहि भ्रम पालता हुँ कोहि सम्झे या ना सम्झे, तन्हायौं में अगसर यहि गम पिता हुँ। ©Ajit Shankar"

 White दुनियाँ कि भिड में कोहि अपना ढुढ्ता हु, हर चहेरा अपना है यहि
भ्रम पालता हुँ
कोहि सम्झे या ना सम्झे, तन्हायौं
में अगसर यहि गम पिता  हुँ।

©Ajit Shankar

White दुनियाँ कि भिड में कोहि अपना ढुढ्ता हु, हर चहेरा अपना है यहि भ्रम पालता हुँ कोहि सम्झे या ना सम्झे, तन्हायौं में अगसर यहि गम पिता हुँ। ©Ajit Shankar

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