दिल-ऐ-बीमार चल जिद्द छोड़ आ दावा ले
देख किसी के खातिर खुद का ये हाल करना ठीक नहीं..
हां मानता हूं जहन परेशान है यहां बातो से
मगर सुन जात-ऐ-इंशा से सवाल करना ठीक नहीं..
पागल उसी ने लाया है तुझे मौत के करीब
बा-खुदा उसे अब और याद करना ठीक नहीं..
तू ऐसे मुकाम पर है जहां तेरी मंजिल सिर्फ कब्र है
'असद' खुद के लिए भी दुआ करना ठीक नहीं..
आ चलते है विरानियो में चल गुमनाम हो जाते है
अब यहां किसी को परेशान करना ठीक नहीं..
©Asad_Poetry_25
कभी फुर्सत में बैठ कर पढ़िये मेरे अल्फाजों को..!!
तुम पर ही शुरू और तुम पर ही खत्म होंगे....!!!!