लिखूं क्या कुछ समझ आता नहीं, हिंदी के सिवा मन को क | हिंदी कविता Video

"लिखूं क्या कुछ समझ आता नहीं, हिंदी के सिवा मन को कुछ भाता नहीं, हिंदी दिवस का मौका है, ऐसे में मुझसे बिना बोले रहा जाता नहीं। बाकी भाषाओं को मैंने किताबों में रखा है, हिंदी को मैंने मन के भावों में रखा है। बात जहां हिंदी की आती है, मेरे मन में रसधार बह जाती है। किसी और भाषा में वो बात कहां, जो देशभक्ति की खुशबू हिंदी से आती है। क्यूं न अपने विचारों को व्यक्त करूं, सोचा किस भाषा का प्रयोग करूं। हिंदी हमारी मातृभाषा है, क्यूं न उसी का उपयोग करूं। ©Vishal Garg Visarg "

लिखूं क्या कुछ समझ आता नहीं, हिंदी के सिवा मन को कुछ भाता नहीं, हिंदी दिवस का मौका है, ऐसे में मुझसे बिना बोले रहा जाता नहीं। बाकी भाषाओं को मैंने किताबों में रखा है, हिंदी को मैंने मन के भावों में रखा है। बात जहां हिंदी की आती है, मेरे मन में रसधार बह जाती है। किसी और भाषा में वो बात कहां, जो देशभक्ति की खुशबू हिंदी से आती है। क्यूं न अपने विचारों को व्यक्त करूं, सोचा किस भाषा का प्रयोग करूं। हिंदी हमारी मातृभाषा है, क्यूं न उसी का उपयोग करूं। ©Vishal Garg Visarg

#Hindidiwas #mankevichar

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