White स्मृतियों में बस याद आएगा कालेज का कण कण सहप | हिंदी कविता Video

"White स्मृतियों में बस याद आएगा कालेज का कण कण सहपाठियों की मस्ती सभी गुरुओं का अपनापन कैम्पस की बातें ,लैब में शोध के समय की घातें कभी कभी चीटिंग, आइसक्रीम ,पापड और चाट डायरेक्टर सर और H O D की कड़कती डांट टिफिन का खाना अपना ये अल्हड़पन का जमाना सब आएगा याद जब चंद दिनों में पड़ेगा कमाना प्रिंसीपल का व्यक्तित्व और उनके होने वाले चर्चे नकल करने के लिखे नोट्स एवं टाइप हुए पर्चे अपने दोस्तों का समूह,एवं सहायता के सबके भाव और कुछ के प्रेम में पड़े छात्रों के उदासी के ताव मोटू भैया को लतीफों में न ले जा पाने का अभाव नीलगगन के नीचे अब दोनो नयनों को मींचे मींचे अवसाद में सेल्फी ,यूनीफॉर्म पर सबकी लिखावट रुआसे से गले लगना ,भूलकर सभी कडवाहट जीवन की इस अनुपम नेह से ऐसे ही सदा सींचे तूफ़ान उमड रहा ,नयनों में केवल अब प्रत्याशा हैं कंठ भरा भावुकता से फिर जीवन मे वही तमाशा है।। ©Shilpa yadav "

White स्मृतियों में बस याद आएगा कालेज का कण कण सहपाठियों की मस्ती सभी गुरुओं का अपनापन कैम्पस की बातें ,लैब में शोध के समय की घातें कभी कभी चीटिंग, आइसक्रीम ,पापड और चाट डायरेक्टर सर और H O D की कड़कती डांट टिफिन का खाना अपना ये अल्हड़पन का जमाना सब आएगा याद जब चंद दिनों में पड़ेगा कमाना प्रिंसीपल का व्यक्तित्व और उनके होने वाले चर्चे नकल करने के लिखे नोट्स एवं टाइप हुए पर्चे अपने दोस्तों का समूह,एवं सहायता के सबके भाव और कुछ के प्रेम में पड़े छात्रों के उदासी के ताव मोटू भैया को लतीफों में न ले जा पाने का अभाव नीलगगन के नीचे अब दोनो नयनों को मींचे मींचे अवसाद में सेल्फी ,यूनीफॉर्म पर सबकी लिखावट रुआसे से गले लगना ,भूलकर सभी कडवाहट जीवन की इस अनुपम नेह से ऐसे ही सदा सींचे तूफ़ान उमड रहा ,नयनों में केवल अब प्रत्याशा हैं कंठ भरा भावुकता से फिर जीवन मे वही तमाशा है।। ©Shilpa yadav

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सहपाठियों की मस्ती सभी गुरुओं का अपनापन
कैम्पस की बातें ,लैब में शोध के समय की घातें
कभी कभी चीटिंग, आइसक्रीम ,पापड और चाट
डायरेक्टर सर और H O D की कड़कती डांट
टिफिन का खाना अपना ये अल्हड़पन का जमाना
सब आएगा याद जब चंद दिनों में पड़ेगा कमाना
प्रिंसीपल का व्यक्तित्व और उनके होने वाले चर्चे
नकल करने के लिखे नोट्स एवं टाइप हुए पर्चे
अपने दोस्तों का समूह,एवं सहायता के सबके भाव
और कुछ के प्रेम में पड़े छात्रों के उदासी के ताव
मोटू भैया को लतीफों में न ले जा पाने का अभाव
नीलगगन के नीचे अब दोनो नयनों को मींचे मींचे
अवसाद में सेल्फी ,यूनीफॉर्म पर सबकी लिखावट
रुआसे से गले लगना ,भूलकर सभी कडवाहट
जीवन की इस अनुपम नेह से ऐसे ही सदा सींचे
तूफ़ान उमड रहा ,नयनों में केवल अब प्रत्याशा हैं
कंठ भरा भावुकता से फिर जीवन मे वही तमाशा है

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