White किसान की व्यथा
वो जो पेड़ की डाल पर लटका किसान है
अ सता के ठेकेदारों देखो। वह हिंदुस्तान है
जार-ज़ार रोता हर द्वार; मिलती क्यूं दुत्कार
कर उठा चीत्कार फिर ,फिर उठी किरपान है।
दुख सहे कब तक, हिम्मत रहे जब तक,
चुप रहा अब तक; अब बोल उठा जवान है।
तुझसे दिल्ली मिलने आया, तूने बहुत तड़पाया कानून बहुत सुनाया; अब हुआ क्रांति आहवान है
सत्ताधीशों को चंदा, हमें बताते बहुत गंदा
काम कृषि का हुआ मंदा; मरता रोज किसान है।
गोदामों में वो भरे अनाज, जो करते कुर्सी का राज अब मेहनतकश को ताज ,बोलता हिंदुस्तान है।
वो खुद करते बरबादी; और हम को कहें आतंकवादी
अब हमी अंत हमी आदि; चल पड़ा क्रांति तूफान है।
©Gurdeep Kanheri
Farmer protest