अंत भी होना है, पर आरंभ भी करना है,
इस भू में रह कर भी दूसरा लोक देखना हैं..
हुई शुरुआत अभी कुछ ही कलयुग की,
बर्तमान में इसका परिनाम भी झेलना है..
करे जो करम सबने, ना समझते हुए,
नरकलोक जाकर हमको दर्द समेटना है..
होगी प्राप्ति शरीर में आत्मा की दोबारा
करोड़ो रूपो में हमें सब भोगना है..
©Kaushal Tewari
#Sitaare