वजूद की तलाश में,
हूं खो गया पलाश में,
हूं जानता और मानता कि
खाली पेट, खाली प्यास,खाली शब्द
है खोज में है हर पहर,हैं हर सहर,
हर शेहर अन्जान तेरी फ़ितरत से क्यु आज तक्,
हूँ कुछ मैं बेहका और कुछ तो मेहका ,
अन्जान रास्तो कि कवायत पढनी जानता,
पर ना मानता रियासत ए मन्ज़िलो की ना खाक मै हु छानता,
न राजा है मन्ज़ूर मुझे न रन्क की कहानिया,
शाज़िशो में मेरी, सिर्फ़ इस बेहते रक्त की रवानिया!
-मन से!
©Kamal Pandey
#IndianAirforceday