रस्ता रहे रोज़ रात, रोज़ रात्रि रहे राही। रोज़ाना | हिंदी कविता

"रस्ता रहे रोज़ रात, रोज़ रात्रि रहे राही। रोज़ाना रहना रहगुज़र, रण-रक्षक, रग-रावी। ©Sukhdev"

 रस्ता रहे रोज़ रात,
रोज़ रात्रि रहे राही।
रोज़ाना रहना रहगुज़र,
रण-रक्षक, रग-रावी।

©Sukhdev

रस्ता रहे रोज़ रात, रोज़ रात्रि रहे राही। रोज़ाना रहना रहगुज़र, रण-रक्षक, रग-रावी। ©Sukhdev

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