शीर्षक - दादी का जाना......
घर खाली हो जाना
बेरंग सी रौनक घर कर जाना
घर आंगन दरवाजे पर कोई न आना
उनका जाना मेरी खुशीयों का मरण
हां याद आज भी है उनकी गोद में सो जाना
शाम में स्कूल से लौटकर जब कभी भी आना
मेरे हाथों में खाने का खज़ाना खुद ब खुद मिल जाना
हां दादी का जाना, मां को घर से बाहर काम को जाना
कभी कह न पाएं हम से , पापा को हर दिन उनकी कमी खलना
दादी का जाना मेरा बचपना इसी धुंध में खो जाना
दादी का जाना... मेरा सब कुछ लुट जाना......
©Dev Rishi
#दादी का जाना....सब कुछ लुट जाना