मैं निरी काठ थी,तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी, | हिंदी Bhakti Video

"मैं निरी काठ थी,तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी, मैं टूटा साज थी, तेरे उर से निकल बन गई माधुरी, मैं तो निराश थी, तेरी भक्ति ने जीवन को देदी धुरी, गिरने से पहले मेरे मोहन! हाथ थाम लेना मेरा यूँ ही, तुम बिन अधूरी थी मैं, स्मृति तुमसे ही होती पूरी, बेरंग सी थी मैं , तेरे प्रेम में रंग,बन गई सिंदूरी, मैं निरी काठ थी, तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी || ©स्मृति.... Monika "

मैं निरी काठ थी,तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी, मैं टूटा साज थी, तेरे उर से निकल बन गई माधुरी, मैं तो निराश थी, तेरी भक्ति ने जीवन को देदी धुरी, गिरने से पहले मेरे मोहन! हाथ थाम लेना मेरा यूँ ही, तुम बिन अधूरी थी मैं, स्मृति तुमसे ही होती पूरी, बेरंग सी थी मैं , तेरे प्रेम में रंग,बन गई सिंदूरी, मैं निरी काठ थी, तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी || ©स्मृति.... Monika

#Radhegovind#स्मृति तुमसे ही #होती पूरी

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