हैवानियत ढ़हाई होगी किसी ने, किसी मासूम और मजलूम प | हिंदी Poetry Vide

"हैवानियत ढ़हाई होगी किसी ने, किसी मासूम और मजलूम पर, माना कभी रहमान के नाम पर। बस्तियां जलाई होंगी किसी ने, बड़ी निर्दयता से धर्म विशेष की, जरूर कभी राम के नाम पर। मुझे कह देना भले धर्म विरोधी, मगर ऐसी कोई उम्मीद न रखना, मुझसे तुम भगवान के नाम पर। क्योंकि कोई भी धर्म नही सिखाता, मजहबी फसाद और आपसी बैर, किसी भी वजहात के नाम पर। मजहबी चश्मा उतारकर कभी, दुनिया को तुम भी देख लो 'बोगल', एक बार बस इंसान के नाम पर। ©Swarn Deep Bogal "

हैवानियत ढ़हाई होगी किसी ने, किसी मासूम और मजलूम पर, माना कभी रहमान के नाम पर। बस्तियां जलाई होंगी किसी ने, बड़ी निर्दयता से धर्म विशेष की, जरूर कभी राम के नाम पर। मुझे कह देना भले धर्म विरोधी, मगर ऐसी कोई उम्मीद न रखना, मुझसे तुम भगवान के नाम पर। क्योंकि कोई भी धर्म नही सिखाता, मजहबी फसाद और आपसी बैर, किसी भी वजहात के नाम पर। मजहबी चश्मा उतारकर कभी, दुनिया को तुम भी देख लो 'बोगल', एक बार बस इंसान के नाम पर। ©Swarn Deep Bogal

#traintrack R K Mishra " सूर्य " @heartlessrj1297 @Ritu Tyagi @Anshu writer @RD bishnoi

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