White पल्लव की डायरी
आवारा पन सियासत हो गयी
व्यवस्था सब कराहती है
रीतियां नीतियां सब ताक पर बैठी
हिटलरशाही नेताओ में पनपी जाती है
संसद न्यायालय सब दबाबो मे
आस जनता की टूटी जाती है
जंगली व्यवस्था जंग छेड़े है
हक जनता का सियासत छीने जाती है
निलम्बित सब अधिकार कर बैठे
कानूनी चाबुक और बुल्डोजर संस्कृति थोपे जाते है
जीने का अधिकार नही बचा किसी का
डर और भय का शासन थोपे जाते है
चुनावी व्यवस्था खतरे में है
लोकतंत्र भीष्म शय्या पर लेटा है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#election_2024 चुनावी व्यवस्था खतरे में है
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