मंजिल करे पुकार ओ राही प्रतिपल कदम बढ़ाए चल, चलना | हिंदी कविता

"मंजिल करे पुकार ओ राही प्रतिपल कदम बढ़ाए चल, चलना तेरा काम वक्त से हरदम हाथ मिलाये चल, जो भी सुखद-दुखद घटनाएं सबको गले लगाये चल, जो भी स्वप्न सहायक तेरे सबसे नेह बढाये चल, जो भी पथ बाधा पहुंचाएं उनको अभी भुलाये चल, मंजिल करे पुकार ओ राही प्रतिपल कदम बढ़ाए चल।"

 मंजिल करे पुकार ओ राही प्रतिपल कदम 
बढ़ाए चल,
चलना तेरा काम वक्त से हरदम हाथ 
मिलाये चल,
जो भी सुखद-दुखद घटनाएं सबको गले 
लगाये चल,
जो भी  स्वप्न सहायक तेरे सबसे नेह
बढाये चल,
जो भी पथ बाधा पहुंचाएं उनको अभी 
भुलाये चल,

मंजिल करे पुकार ओ राही प्रतिपल कदम 
बढ़ाए चल।

मंजिल करे पुकार ओ राही प्रतिपल कदम बढ़ाए चल, चलना तेरा काम वक्त से हरदम हाथ मिलाये चल, जो भी सुखद-दुखद घटनाएं सबको गले लगाये चल, जो भी स्वप्न सहायक तेरे सबसे नेह बढाये चल, जो भी पथ बाधा पहुंचाएं उनको अभी भुलाये चल, मंजिल करे पुकार ओ राही प्रतिपल कदम बढ़ाए चल।

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