हे वीणावादिनी दो बुद्धि का वरदान
दूर करो मन के अज्ञान का अंधकार
सँसार में हो रहा हैं पतन ज्ञान का
हो रहा उत्थान मानव में अहंकार का
ज्ञान के प्रकाश में तम अज्ञान का मिटा दो
मानवता के हृदय में ज्ञान की अलख जगा दो
कर दो एक बार फिर से मानव बुद्धि का परिष्कार
जनमानस को आज तुम फिर मानव बना दो
प्रतियोगिता संख्या #६
नमस्कार लेखकों/कातिबों
1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।
2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।
3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।