साँसे भी पूरी चल रही हैं धड़कन भी नहीं थमी क्या फर | हिंदी विचार

"साँसे भी पूरी चल रही हैं धड़कन भी नहीं थमी क्या फर्क पड़ा तेरे जाने से हम पहले भी अकेले थे और आज भी पहले भी अधूरे थे और आज भी फर्क यदि पड़ा तो सिर्फ ये कि अब पूरा होने की चाहत नहीं रही"

 साँसे भी पूरी चल रही हैं
धड़कन भी नहीं थमी
क्या फर्क पड़ा तेरे जाने से
 हम पहले भी अकेले थे 
और आज भी
पहले भी अधूरे थे 
और आज भी
फर्क यदि पड़ा तो सिर्फ ये
कि अब पूरा होने की चाहत नहीं रही

साँसे भी पूरी चल रही हैं धड़कन भी नहीं थमी क्या फर्क पड़ा तेरे जाने से हम पहले भी अकेले थे और आज भी पहले भी अधूरे थे और आज भी फर्क यदि पड़ा तो सिर्फ ये कि अब पूरा होने की चाहत नहीं रही

#Dreams

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