इज्जतें ग़ुबार-ए-दश्त हो गयी होगी दौलतें बाज़ार हो ग | हिंदी Poetry

"इज्जतें ग़ुबार-ए-दश्त हो गयी होगी दौलतें बाज़ार हो गयी होगी मोहब्बत आसां नहीं है ये तो मालूम था मगर इश्क़ की रूदाद अब बदल गयी होगी"

 इज्जतें ग़ुबार-ए-दश्त हो गयी होगी
दौलतें बाज़ार हो गयी होगी
मोहब्बत आसां नहीं है ये तो मालूम था
मगर इश्क़ की रूदाद अब बदल गयी होगी

इज्जतें ग़ुबार-ए-दश्त हो गयी होगी दौलतें बाज़ार हो गयी होगी मोहब्बत आसां नहीं है ये तो मालूम था मगर इश्क़ की रूदाद अब बदल गयी होगी

#mylove

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