हर तरफ धुप है।हर तरफ धुप है।अफजल कही छाव नजर नहीं | हिंदी शायरी

"हर तरफ धुप है।हर तरफ धुप है।अफजल कही छाव नजर नहीं आती मं॒॒नजिल पर तो सभीचलते है मगर सभी को राहा नजर नहीं आती थकके बैठ जाते हैं वो लोग जिनके अंदर मंजिल को पाने की चाहा नजर नहीं आती।"

 हर तरफ धुप है।हर तरफ धुप है।अफजल कही छाव
नजर नहीं आती मं॒॒नजिल पर तो सभीचलते है मगर सभी को राहा नजर नहीं आती थकके बैठ जाते हैं वो
लोग  जिनके अंदर मंजिल
को पाने की चाहा नजर नहीं आती।

हर तरफ धुप है।हर तरफ धुप है।अफजल कही छाव नजर नहीं आती मं॒॒नजिल पर तो सभीचलते है मगर सभी को राहा नजर नहीं आती थकके बैठ जाते हैं वो लोग जिनके अंदर मंजिल को पाने की चाहा नजर नहीं आती।

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