आज सबकी बातों को स्विकार कर कहती हूँ मैं, हाँ अपव | हिंदी कविता Video

"आज सबकी बातों को स्विकार कर कहती हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं, सिर्फ गर्भधारण हेतु 14 साल की उम्र से अपने हर मास के 6 दिन की अपवित्रता को स्वीकार कर खुश हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं, शादी से पहले अपने माँ-बाप कि इज्जत को तव्वजो दे, अपने सपनों कि कतलेआम करती हूँ मैं, हाँ अपने सपनों की कातिल हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं शादी के बाद अपने पति कि इच्छाओं को अपना धर्म समझकर, अपनी इच्छाओं को मार देती हूँ मैं, अपनी इच्छाओं की मौत की गुनेहगार हूँ मैं, हाँ सचमें अपवित्र हूँ मैं, इस्तेमाल कि जाती हूँ मैं लोगों कि हवस की शिकार की जाती हूँ मैं, जब मर्दों की सेज पर पडी हूँ तो एक बहुमुल्य रत्न हूँ मैं, और जब अपनी इच्छाओं की आजादी माँगु तो अपवित्र हूँ मैं, इस युग में नहीं, युगों-युगांतर से अपवित्र हूँ मैं, कई बार ली तुमने मेरी परीक्षा, उस परीक्षा में भी सफलता पाकर भी अपवित्र हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं, मत करो इतनी बेरहमी मुझ पर इस बेरहमी में भी रहम हूँ मैं, तुम्हारे अत्याचारों को सहकर भी, परोपकारी हूँ मैं, पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं, तुम्हारे अपवित्रता की दाग को झेलकर भी पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं, अपवित्रता में भी पवित्रता की मुरत हूँ मैं पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं ©कलम की दुनिया "

आज सबकी बातों को स्विकार कर कहती हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं, सिर्फ गर्भधारण हेतु 14 साल की उम्र से अपने हर मास के 6 दिन की अपवित्रता को स्वीकार कर खुश हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं, शादी से पहले अपने माँ-बाप कि इज्जत को तव्वजो दे, अपने सपनों कि कतलेआम करती हूँ मैं, हाँ अपने सपनों की कातिल हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं शादी के बाद अपने पति कि इच्छाओं को अपना धर्म समझकर, अपनी इच्छाओं को मार देती हूँ मैं, अपनी इच्छाओं की मौत की गुनेहगार हूँ मैं, हाँ सचमें अपवित्र हूँ मैं, इस्तेमाल कि जाती हूँ मैं लोगों कि हवस की शिकार की जाती हूँ मैं, जब मर्दों की सेज पर पडी हूँ तो एक बहुमुल्य रत्न हूँ मैं, और जब अपनी इच्छाओं की आजादी माँगु तो अपवित्र हूँ मैं, इस युग में नहीं, युगों-युगांतर से अपवित्र हूँ मैं, कई बार ली तुमने मेरी परीक्षा, उस परीक्षा में भी सफलता पाकर भी अपवित्र हूँ मैं, हाँ अपवित्र हूँ मैं, मत करो इतनी बेरहमी मुझ पर इस बेरहमी में भी रहम हूँ मैं, तुम्हारे अत्याचारों को सहकर भी, परोपकारी हूँ मैं, पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं, तुम्हारे अपवित्रता की दाग को झेलकर भी पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं, अपवित्रता में भी पवित्रता की मुरत हूँ मैं पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं, हाँ पवित्र हूँ मैं ©कलम की दुनिया

#पवित्र_हूं_मैं

People who shared love close

More like this

Trending Topic