सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरक | हिंदी Shayari

"सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं .... ©Arshu...."

 सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , 

गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू ,


पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , 

जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं ....

©Arshu....

सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं .... ©Arshu....

सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू ,
गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू ,
पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं ,
जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं .... @Nikhat khan @shehzadi @jhanvi Singh Meri baatein.... @Ritu Tyagi

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