वक्त बेवक्त की शायरी हो तुम
खाली जगह की साथी हो तुम
कैसे बोल दी लब से हर बात
मेरी खामोश हंसी की वजह हो तुम
बैठे बैठे मैं मुस्कुराता रहता हूं
चलते चलते मैं रुक सा जाता हूं
कैसे कह दूं मंजिल अभी दूर है मेरी
इस तन्हा सफर के हमसफर हो तुम
कैसे कह दूं कौन हो तुम
बस मेरी होंसला की
एक उम्मीद मेरी उड़ान हो तुम ।
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