कुछ सर्द हवा ऐसी है चली,
पर दिल में गम की होली जली ।
कितने मौसम आ चले गए,
पर तू न आया परदेशी।।
पेड़ो पर आई हरियाली,
फूलों ने भी खुशबू फैलाई।
देखो फिर से ऋतु वसंत आई,
पर तू नही आया परदेशी।।
सरसो पीली से खेत भरा,
सुंदरता से खिल उठी धरा ।
पतझड़ भी आकर चले गए
पर तू नही आया परदेशी।।
अब आंखे भी थक चूर हुई,
तेरी राह देख मजबूर हुई।
जीवन की आशा दूर हुई,
पर तू नही आया परदेशी।।
Poonam Singh bhadauria
©meri_lekhni,_12
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