"White लहरों सी उथल पुथल हैं मन में
खोज रही हूं अपने को ही,
कौन अपना कौन पराया
दिखते हैं सारे एक जैसे ही,
जितना गहरा सागर उतनी गहरी व्यथा
समाया सारा सार उसी में ही,
कहते हैं सब कि स्त्री हूं मैं
पहचान बनानी है खुद की मुझे खुद को ही!!
©MANOJ LOTHIYA (MANN)
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