कविता--पहचान मेरा दिल मुझसे पूछे है, तेरी पहचान ह | हिंदी कविता

"कविता--पहचान मेरा दिल मुझसे पूछे है, तेरी पहचान ही क्या है, वक्त से जो डर गया वो इंसान ही क्या है। हुआ नहीं कभी जो हकीकत से रूबरू, बनते ही टूट जाए ,वो अरमान ही क्या है । जिंदगी है सौ मुश्किलों की दास्तां है ए-दोस्त , यूं ही निकल गई ,तो फिर जान ही क्या है । पग-पग पर मिलेंगे आपको बेईमानी के ठेके, दौलत से डोल गया, तो फिर ईमान ही क्या है। यूं तो चाहिए सबको जिंदगी जीने का सहारा , पग-पग पर जो एहसान जताए वो मेहरबान ही क्या है। मिलती रहे जिंदगी में गर खुशियाँ ही खुशियाँ, मुश्किलों से जिंदगी का, फिर इम्तिहान ही क्या है । सुनता है रब दुआ,दिल से पुकारो तो सही, अगर फिर भी ना सुने,तो वो भगवान ही क्या है। मिल ना सके जिसे, दुआ गरीबों की सच कहे "दीप" फिर वो महान ही क्या है। Written by:---Sandeep Verma ©GHAZAL POETRY"

 कविता--पहचान

मेरा दिल मुझसे पूछे है, तेरी पहचान ही क्या है,
वक्त से जो डर गया वो इंसान ही क्या है।

हुआ नहीं कभी जो हकीकत से रूबरू,
बनते ही टूट जाए ,वो अरमान ही क्या है ।

जिंदगी है सौ मुश्किलों की दास्तां है 
ए-दोस्त ,
यूं ही निकल गई ,तो फिर जान ही क्या है ।

पग-पग पर मिलेंगे आपको बेईमानी के ठेके,
दौलत से डोल गया, तो फिर ईमान ही क्या है।

यूं तो चाहिए सबको जिंदगी जीने का सहारा ,
पग-पग पर जो एहसान जताए 
वो मेहरबान ही क्या है। 

मिलती रहे जिंदगी में गर खुशियाँ ही खुशियाँ,
मुश्किलों से जिंदगी का, फिर इम्तिहान ही क्या है ।

सुनता है रब दुआ,दिल से पुकारो तो सही,
अगर फिर भी ना सुने,तो वो भगवान ही क्या है।

मिल ना सके जिसे, दुआ गरीबों की
सच कहे "दीप" फिर वो महान ही क्या है।

Written by:---Sandeep Verma

©GHAZAL POETRY

कविता--पहचान मेरा दिल मुझसे पूछे है, तेरी पहचान ही क्या है, वक्त से जो डर गया वो इंसान ही क्या है। हुआ नहीं कभी जो हकीकत से रूबरू, बनते ही टूट जाए ,वो अरमान ही क्या है । जिंदगी है सौ मुश्किलों की दास्तां है ए-दोस्त , यूं ही निकल गई ,तो फिर जान ही क्या है । पग-पग पर मिलेंगे आपको बेईमानी के ठेके, दौलत से डोल गया, तो फिर ईमान ही क्या है। यूं तो चाहिए सबको जिंदगी जीने का सहारा , पग-पग पर जो एहसान जताए वो मेहरबान ही क्या है। मिलती रहे जिंदगी में गर खुशियाँ ही खुशियाँ, मुश्किलों से जिंदगी का, फिर इम्तिहान ही क्या है । सुनता है रब दुआ,दिल से पुकारो तो सही, अगर फिर भी ना सुने,तो वो भगवान ही क्या है। मिल ना सके जिसे, दुआ गरीबों की सच कहे "दीप" फिर वो महान ही क्या है। Written by:---Sandeep Verma ©GHAZAL POETRY

#Poetry
#Motivation
#Truth
#Love
#Hindi
#Dark

People who shared love close

More like this

Trending Topic