हैं भले हम ज़ुबान के कड़वे, बस बुराई न की गई हमस | हिंदी शायरी

"हैं भले हम ज़ुबान के कड़वे, बस बुराई न की गई हमसे, काम चाहे बुरे किये लेकिन, बेवफ़ाई न की गई हमसे! संघर्ष ©Sangharssh"

 हैं भले हम ज़ुबान के कड़वे,
बस  बुराई न  की गई हमसे,

काम चाहे  बुरे किये लेकिन,
बेवफ़ाई  न  की  गई  हमसे!
                              संघर्ष

©Sangharssh

हैं भले हम ज़ुबान के कड़वे, बस बुराई न की गई हमसे, काम चाहे बुरे किये लेकिन, बेवफ़ाई न की गई हमसे! संघर्ष ©Sangharssh

हैं भले हम ज़ुबान के कड़वे,
बस बुराई न की गई हमसे,

काम चाहे बुरे किये लेकिन,
बेवफ़ाई न की गई हमसे!
संघर्ष

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