तुम्हे देखकर तुमपे मरने हम लगे थें
कि जमाने की नज़रों से डरने हम लगे थें
तभी मुझसे दूर चले गए मुझे
देकर ये दुहाई
मेरे तरह हजारों मिलेंगे
ना महसूस होगी ये जुदाई
हां हजारों राह मिले पर कोई
मंजिल ना बना
कि आज तक हूं मैं तन्हा
और मेरी यही तन्हाई
दर्द बनकर कहती है
ना होने देना प्यार
अगर देनी है जुदाई
जागृति सिन्हा
©Jagriti Sinha
#जुदाई