White पृभा
खामोश सुबक्ती अंधेरी घनी रतियाॅ
ना जाने हर पल कितने राज छुपाए
कहने को लब पर है ढेरो बतियाॅ
कोमल अंखियों को हर बार रुलाये
मन है खामोश, दर्पण के अंतर-मन मे
अपने साए को हर पल ढूंढ रहा
उस प्रश्न-चिन्ह के एक बिन्दु में
उत्तर सदियो उसका वह खोज रहा
खिड़की रोशन दर्पण से सब करती
निंदियाॅ रानी अरसो से है तरसी
पल पल का वो इंतजार वो है करती
रौशन जुगनू झिलमिल ज्योति बरसी
प्रश्न चिन्ह का है रौशन उत्तर
दर्पण रौशन मन सब का है प्रतिउत्तर
©PRIYANSHI MITTAL
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