#नादां_परिंदे
हैं शिक़ायत तुझको ग़र
जमाने की उलझनों से
या फिर
है कोई गुरुर ख़ुद के
इंसान होने पर भी
तो कर लीजिए दोस्ती जनाब
एक बार
हर उस प्राणी, जीव,
प्रकृति या उनकी उलझनों से
बड़ी ही शिद्दत और सीरत से
ना जाने कब ये
शिकायतें और उलझनें
आपको एक नेकदिल
इंसान ही बना दें।।
©NatureSoul Sanjeetaa Dhaka
My Poetry