दर्द में डूबे हुए नग्मे हज़ारों हैं मगर, साज़-ए-द | हिंदी Shayari Vide

"दर्द में डूबे हुए नग्मे हज़ारों हैं मगर, साज़-ए-दिल टूट गया हो तो सुनायें कैसे... बोझ होता जो ग़मों का तो उठा भी लेते, ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठायें कैसे...! ©Khan Sahab "

दर्द में डूबे हुए नग्मे हज़ारों हैं मगर, साज़-ए-दिल टूट गया हो तो सुनायें कैसे... बोझ होता जो ग़मों का तो उठा भी लेते, ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठायें कैसे...! ©Khan Sahab

#जिंदगी बोझ बनी हो तो....

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