माँ अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगत | English Quotes

"माँ अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है। अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है। आज पैसे कम नहीं , मगर गम है कि मां नहीं । अब संजोई तेरी यादें ही मां असली खजाना लगता है । दीवारें भी कभी गाती थी मां तेरी घंटी की धुन पर । आज सन्नाटो की कैद में मां इनका चिल्लाना लगता है। पहले आंसू आते थे मां तेरे पल्लू में सिमट जाते थे। आज उदासी को भी मां तेरा पल्लू ही घराना लगता है । पल-पल सूखती तुलसी रोज सूर्य से तेरा पता पूछती । अब मां उसे हम और ये अंगना भी अंजाना लगता है । आज परिंदे नहीं उतरते , छत को पंख चिढ़ाते हैं। तू नहीं है ना मां इसलिए उनका ये घर भुलाना लगता है। अब नींद में भी तेरे ख्वाब मां आंखों से निकलते हैं। मां तेरी तस्वीर का सीने से लग लोरी सुनाना लगता है। अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है। अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है। ✍️Pc..."

 माँ  अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है।
अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है।
आज पैसे कम नहीं , मगर गम है कि मां नहीं ।
अब संजोई तेरी यादें ही मां असली खजाना लगता है ।
दीवारें भी कभी गाती थी मां तेरी घंटी की धुन पर ।
आज सन्नाटो की कैद में मां इनका चिल्लाना लगता है।
पहले आंसू आते थे मां तेरे पल्लू में सिमट जाते थे। 
आज उदासी को भी मां तेरा पल्लू ही घराना लगता है ।
पल-पल सूखती तुलसी रोज सूर्य से तेरा पता पूछती ।
अब मां उसे हम और ये अंगना भी अंजाना लगता है ।
आज परिंदे नहीं उतरते , छत को पंख चिढ़ाते हैं।
तू नहीं है ना मां इसलिए उनका ये घर भुलाना लगता है।
अब नींद में भी तेरे ख्वाब मां आंखों से निकलते हैं।
मां तेरी तस्वीर का सीने से लग लोरी सुनाना लगता है।
अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है।
अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है।
✍️Pc...

माँ अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है। अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है। आज पैसे कम नहीं , मगर गम है कि मां नहीं । अब संजोई तेरी यादें ही मां असली खजाना लगता है । दीवारें भी कभी गाती थी मां तेरी घंटी की धुन पर । आज सन्नाटो की कैद में मां इनका चिल्लाना लगता है। पहले आंसू आते थे मां तेरे पल्लू में सिमट जाते थे। आज उदासी को भी मां तेरा पल्लू ही घराना लगता है । पल-पल सूखती तुलसी रोज सूर्य से तेरा पता पूछती । अब मां उसे हम और ये अंगना भी अंजाना लगता है । आज परिंदे नहीं उतरते , छत को पंख चिढ़ाते हैं। तू नहीं है ना मां इसलिए उनका ये घर भुलाना लगता है। अब नींद में भी तेरे ख्वाब मां आंखों से निकलते हैं। मां तेरी तस्वीर का सीने से लग लोरी सुनाना लगता है। अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है। अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है। ✍️Pc...

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