White बड़े नदान हो तुम... थार की रेत सी,गर्म शाम हो | हिंदी कविता

"White बड़े नदान हो तुम... थार की रेत सी,गर्म शाम हो तुम... तरुणाई सी हो गयी है हरकते तेरी... लग रहा है मेरे से अंजान हो तुम... कर रहे हो बार-बार उपेक्षा मेरी... है सब तेरे मन की है इक्षा तेरी... दुनिया से हट कर हो गयी है... सबसे अलग तिक्षा तेरी... दोस्ती का कौन सा ये,रीत निभा रहे हो.. इतनी कृतज्ञता से रेत को,जल में मिला रहे हो... एक बार बता दो मुझे,मैं भी हो जायूँ आसमा से दूर... क्या सच में तुम,मेरे से दूर जा रहे हो...। ©अजनवी शायर"

 White बड़े नदान हो तुम...
थार की रेत सी,गर्म शाम हो तुम...
तरुणाई सी हो गयी है हरकते तेरी...
लग रहा है मेरे से अंजान हो तुम...

कर रहे हो बार-बार उपेक्षा मेरी...
है सब तेरे मन की है इक्षा तेरी...
दुनिया से हट कर हो गयी है...
सबसे अलग तिक्षा तेरी...

दोस्ती का कौन सा ये,रीत निभा रहे हो..
इतनी कृतज्ञता से रेत को,जल में मिला रहे हो...
एक बार बता दो मुझे,मैं भी हो जायूँ आसमा से दूर...
क्या सच में तुम,मेरे से दूर जा रहे हो...।

©अजनवी शायर

White बड़े नदान हो तुम... थार की रेत सी,गर्म शाम हो तुम... तरुणाई सी हो गयी है हरकते तेरी... लग रहा है मेरे से अंजान हो तुम... कर रहे हो बार-बार उपेक्षा मेरी... है सब तेरे मन की है इक्षा तेरी... दुनिया से हट कर हो गयी है... सबसे अलग तिक्षा तेरी... दोस्ती का कौन सा ये,रीत निभा रहे हो.. इतनी कृतज्ञता से रेत को,जल में मिला रहे हो... एक बार बता दो मुझे,मैं भी हो जायूँ आसमा से दूर... क्या सच में तुम,मेरे से दूर जा रहे हो...। ©अजनवी शायर

#SAD #desert #dur #Dosti

People who shared love close

More like this

Trending Topic