बेटियां हमदर्द हैं हर दर्द के एहसास में घर द्वारे | हिंदी शायरी

"बेटियां हमदर्द हैं हर दर्द के एहसास में घर द्वारे पर खड़ी हैं लेकर दीपक हाथ में दो कुलों की लाज लेकर रोशनी फैला रही उड़ना बेटी हौसलों से देर तक आकाश में ©Anekant Jain Aditya"

 बेटियां हमदर्द हैं हर दर्द के एहसास में 
घर द्वारे पर खड़ी हैं लेकर दीपक हाथ में
दो कुलों की लाज लेकर रोशनी फैला रही
 उड़ना बेटी हौसलों से देर तक आकाश में

©Anekant Jain Aditya

बेटियां हमदर्द हैं हर दर्द के एहसास में घर द्वारे पर खड़ी हैं लेकर दीपक हाथ में दो कुलों की लाज लेकर रोशनी फैला रही उड़ना बेटी हौसलों से देर तक आकाश में ©Anekant Jain Aditya

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