"बैठ घरों मैं आराम से हम रोज सुर्खियां पढ़ते है,
छूट गया घर जिनका वो रोज सिसकियां भरते है।
सर्दी,गर्मी, बारिश हो झट से घर मैं घुस जाते है,
कहां छिपे थे वो जिनके घर छिन जाते है।
मोन रही एक पीढ़ी लाखों ने फिर भोगा है
मोन रहे तुम भी सबका यही फिर होना है।
झंडे लेकर मत निकालो दुनियां के गलियारों मैं
पर आपत्ती अपनी दर्ज करो दुनिया के बाजारों मैं
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©अजय"