अक्सरां तन्हाईयों से मेरी बात होती है।
हर दिन ही उससे मुलाकात होती है।
पीठ आकर वो सहलाती है मेरी,
कहती है दिन भी होती है न रात होती है।
©Bharat Bhushan pathak
#SunSet
अक्सरां तन्हाईयों से मेरी बात होती है।
हर दिन ही उससे मुलाकात होती है।
पीठ आकर वो सहलाती है मेरी,
कहती है दिन भी होती है न रात होती है।