ज़रा देख
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तेरी आंखों का काजल मेरी जुबां की स्याही है तेरे क़दम मेरी ज़िंदगी का हमसफ़र, हमराही है
तेरी ख़ुशबू से ये दिल धड़कता है तेरी सांसों से मुझमें तेरी जां जाँ बस्ती है
जब भी देखे दर्पण में तुझे मेरा ही अक्स झलकता है ज़रा देख मेरी परछाईं को उसमें तेरा ही रूह उभरता है
मनीष राज
©Manish Raaj
#ज़रा देख