हमने रिश्ते को बिगड़ते हुए देखा .......
अपनों को अपनों से झगड़ते हुए देखा
........हमने घरों को उजड़ते हुए देखा
हर इंसान को बदलते हुए देखा
छल , कपट , खुदगर्जी ...............
...........……इन्हें अपनाते हुए देखा
प्रेम , त्याग , इंसानियत
को भुलाते हुए देखा ..............…........
पैसा , धर्म , जात ,रंग , भाषा , जमीन
..........…...........इसके लिए इंसान को
जानवर होते हुए देखा
सच में इंसान को .........................
इतनी नीचे गिरते हुए देखा
©वंदना ....
हमारे पूर्वज जो बंदर थे ना ..धीरे-धीरे उनकी बुद्धि डेवलप होती गई ...आज उसका अंजाम हमारे सामने है ....कभी-कभी सवाल आता है . .और भी प्राणी थे उनकी बुद्धि क्यों इतनी विकसित नहीं हुई ... ?🤔😇🙏🙏🙏