न कोई सद्गुन है, न कोई साधना
करूँ भला कैसे, तेरी उपासना..!
न वास्ता तप से,न वास्ता जप से
संभाल लेना हो, यही है प्रार्थना..!
न ज्ञान है मुझमें, न ध्यान है मुझमें
कृपा की मूरत हो,कृपा की भावना..!
न हो भजन तेरा, न मन मगन तेरा
न भाव भक्ति हो,न वर की कामना..!
जहान तेरा है, विधान तेरा है
भगत के पाले में, तुझे पुकारना..!
अधम भी तारे हो, सदा सहारे हो
दया की दृष्टि से, मुझे निहारना..!
नयन की भाषा है, तुम्हीं से आशा है
मेरे खिवैया रे,मुझे उबारना..!
©अज्ञात
#जगतखिवैया रे